बुधवार, 10 जनवरी 2018

विश्व प्रसिद्द श्री सांवलिया सेठ के मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित है।
यहाँ दूर-दूर से लाखों यात्री प्रति वर्ष दर्शन करने आते हैं, विशेषकर उत्तर- पश्चिमी भारत के अनेको राज्य जैसे मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। किवदंतियो के अनुसार सन 1840 में भोलाराम गुर्जर नाम के एक चरवाहे को आये स्वप्न के अनुसार भादसौड़ा-बागुंड गाँव की सीमा पर खुदाई करने पर कृष्ण रूप श्री सांवलिया सेठ की 3 मूर्तियां प्रकट हुयी । सांवलिया सेठ की पूरी कहानी जानने की लिए  । इस प्रकार सांवलिया सेठ की तीनों मूर्तियों की तीन मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा की गयी। ये तीनो मंदिर चित्तौड़गढ़ से उदयपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग सं. 76 अथवा 27-48(स्वर्ण चतुर्भुज सड़क योजना) पर स्थित है। 



मंडफिया सांवलिया सेठ मंदिर (मुख्य मंदिर)

मंडफिया मंदिर कृष्ण धाम के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्द है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट-उदयपुर से 65 किमी की दुरी पर स्थित है। नीचे मानचित्र में देखें। मंडफिया मंदिर देवस्थान-विभाग राजस्थान-सरकार के अन्तर्गत आता है । 



मूर्ति प्राकट्य स्थल मंदिर - भादसौड़ा-बागुंड चौराहा

सांवलिया सेठ का दूसरा मंदिर भादसौड़ा- बागुंड चौराहे पर स्थित है जहाँ से सांवलिया सेठ की मुर्तिया प्रकट हुई । इसे प्राकट्य स्थल मंदिर भी कहा जाता है । यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 35 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट-उदयपुर से 59 किमी की दुरी पर स्थित है।

प्राचीन मंदिर (भादसौड़ा स्थित सांवलिया सेठ मंदिर)

सांवलिया सेठ का तीसरा मंदिर भादसौड़ा कस्बे में स्थित है । यह मंदिर सबसे पुराना मंदिर है इसलिए यह सांवलिया सेठ प्राचीन मंदिर के नाम से जाना जाता है । इस मंदिर को उदयपुर मेवाड राज-परिवार के भींडर ठिकाने की ओर से बनवाया गया। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भीम सिंह डोडिया

Dodia rajput sardargarah THAKUR BHIM SINH DODIA > दूसरा सन्धि प्रस्ताव :- दूत :- कुंवर मानसिंह कछवाहा (आमेर) जून, 1573 ...