शनिवार, 6 जनवरी 2018

राजसमन्द में गणगोर महोत्सव


गणगौर का पर्व फिर से आ गया है । कुछ दशकों से हमारे यहां राजसमन्द में गणगोर महोत्सव बडी धुमधाम से मनाया जा रहा हैं। विशेष तौर से अब नगरपालिका राजसमन्द इस कार्य व आयोजन में इन्ट्रेस्ट लेने लगी है बाकी पहले यह सारे इन्तजामात जनता मन्च, कांकरोली के द्वारा द्वारा किये जाते थे। वेसे तो पुरे राजस्थान में गणगौर काफी प्रसिद्ध त्योहार के रुप में मनाया जाता रहा है पर इस गणगौर को भव्यता के साथ मनाने के मामले में जयपुर, उदयपुर और राजसमन्द थोडे ज्यादा ही मशहुर है ।


मुख्य रुप से गणगौर तीन दिन तक मनायी जाती है। जिनके नाम है हरी गणगौर, गुलाबी गणगौर व चुन्दडी गणगौर । बालकृष्ण स्कुल के ग्राउंड में हर साल विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। राजसमन्द में द्वारिकाधीश मन्दिर से गणगौर की सवारी (शोभायात्रा) निकाली जाती है जो नगर के मुख्य रास्तों से होती हुई मेला प्रांगण तक पहुंचती है। इस भव्य सवारी पर नगर के लोगों द्वारा जगह जगह पुष्प वर्षा की जाती है। कहीं कहीं तो सज्जन लोग सवारी में सम्मिलित लोगों के लिये जल व शरबत का भी इंतजाम करवाते है।


अंत गणगौर की सवारी मेले तक पहुंचती है फिर पुजा, घुमर, मल्यार्पण आदि के बाद शुरु होते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम, जो देर रात तल चलते हैं। एसा तीनों दिन होता है। कवि सम्मेलन, लोकल कलाकारों की नृत्य व गायन कला का प्रदर्शन और बाहर से बुलाए गए कलाकारों के प्रदर्शन आदि के साथ यह गणगौर महोत्सव लोगों का मनोरंजन करता है, अंतिम वाले दिन अच्छे कार्य करने वाले कलाकारों को इनाम बांटे जाते है ।


तीनों दिन शाम को नगर में गणगौर की सवारी जो निकलती है उसका एक विशेष महत्व है, पुरे रास्ते धर्मप्रेमी लोग गणगौर माता व प्रभु द्वारिकाधीश की छवि पर पुष्प वर्षा करते हैं। इस प्रकार यह महान उत्सव राजसमन्द में हर वर्ष मनाया जाता है। मेला स्थल पर शाम को तो बहुत भीड होती है । डोलर व झुले, मौत का कुँआ, चाट पकोडी वाले, आइसक्रीम और गन्ने का रस आदि प्रकार के खेल व स्टालों से भरा हुआ मेलास्थल  बडा अलग सा ही प्रतीत होता है ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

भीम सिंह डोडिया

Dodia rajput sardargarah THAKUR BHIM SINH DODIA > दूसरा सन्धि प्रस्ताव :- दूत :- कुंवर मानसिंह कछवाहा (आमेर) जून, 1573 ...