गुरुवार, 4 जनवरी 2018

मोलेला 



मोलेला गांव नाथद्धारा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मोलेला गांव का मृण शिल्प या कह सकते है टेराकोटा आर्ट विश्व प्रसिद्ध है। यहां के कई कलाकार अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक जाकर अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। मृण शिल्प और टेराकोटा की कला से यहां के कलाकार जैसे मिट्टी में भी प्राण फूंक देते हैं।  ये कलाकार अपने शिल्प से दिपावली के विभीन्न प्रकार के दीये, श्रीनाथजी, महाराणा प्रताप, हाथी, घोडे, बेल, दीपक के स्टेण्ड, गणेश जी, तरह तरह की घंटीयां, स्थानीय लोक देवताओं आदि के सजीव मृण शिल्प बनाते हैं ।


ये मोलेला के मृणशिल्पकार गीली मिट्टी को विभीन्न सांचों मे डालते हैं, बाद में कई तरह के भिन्न भिन्न औजारों के द्धारा उस शिल्प के रुप को ओर भी सजाया व संवारा जाता है । ततपश्चात ईसे आंच में पकाया जाता है, ताकि यह ओर भी अधिक मजबुत हो जाए । अन्त में टेराकोटा कलर, चुने व अन्य रंगों का उपयोग करते हुए ईसे ओर अधिक आकर्षक बनाया जाता है ।  बाहर से कई विदेशी सैलानी यहां आते है, और कई तो काफी दिन तक यहां रुककर ईन कलाकारों से खास ट्रेनिंग भी लेते हैं। ये कलाकार अपनी देखरेख में ईनको सिखाते भी हैं । टेराकोटा कला के यह विभीन्न नमुने आजकल बाजार में वृहद पेमाने पर बिकते हैं । चाहे खादी मेला हो, शिल्पग्राम उत्सव हो या कोई भी छोटा मोटा मेला या इस प्रकार का कोई आयोजन हो और वहां मोलेला का मृण शिल्प ना पहुंचे ए॓सा संभव ही नहीं है।


यहां के कई शिल्पकार विदेशों में भी जाकर आए है, अपनी ईस कलाकारी की वजह से और कई कलाकारों को तो राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मान जैसे ईनाम व प्रमाणपत्र आदि भी मिले हैं । यह गांव है तो छोटा सा गांव पर यहां के लोगों की अपनी इस अनोखी विधा में महारथ के कारण यह अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान रखता है । सरकार द्धारा भी ईस ओर काफी प्रयास किये गए हैं ताकि इन मृणशिल्पकारों का जीवन स्तर थोडा उंचा उठे ।


मोलेला गाँव अपने स्वाभिमान के साथ खड़ा है । 


यहा पर पर मिट्टी  से कई नई वस्तु बनाई जाती है ।

 

यहा मुख्य यही रोजगार है ।


मोलेला से सम्बंधित कई प्रश्न एग्जाम मे पुछे जाते है ।

  

जशवन्त सिंह डोडिया ठिकाना-कोटेला

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भीम सिंह डोडिया

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