रणमुक्तेश्वर महादेव व प्रताप गुफा
हल्दीघाटी के ही रास्ते में आता है रणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर, यह मंदिर अपना एक अलग एतिहासिक महत्व रखता है, क्योंकि महाराणा प्रताप यहां गुफा में कुछ समय के लिये रुके थे, तब से यह प्रताप गुफा के नाम से भी जाना जाता है । रणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर का यह पवित्र मंदिर आज भी जैसे स्वाभिमानी राणा प्रताप की दास्तान बयान करता नजर आता है, धन्य हें वे लाल जिन्होने आजादी कि खातिर अपने सारे एशोआराम छोड दिये ।महाराणा प्रताप के जीवन का एक बडा समय यहीं मेवाड के पहाडों व गुफाओं में ही बीता । रण या युद्ध से मुक्ति दिलाने वाले रणमुक्तेश्वर महादेव का मंदिर वाकई में काफी अनोखा है । यहां की गुफा में अधिकांशतः पानी बहता रहता है जो पहाडों में से होता हुआ जाने कहां से आता है । यहां रोजाना पुजा अर्चना आदि की जाती हे और विशेष मौके जेसे महाशिवरात्री या महाराणा प्रताप जयंति आदि पर खास दर्शन होते हैं । यहां ठहर कर कुछ पल रुकने मात्र से ही मन को असीम शांति मिलती है ।
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डोडिया वंश की उत्पत्ति कदलीवृक्ष के डोडे (पुष्प)से एक साहसी वीर क्षत्रिय पुरूष दीपंग का जन्म हुआ । केले के डोडे पुष्पकली से उत्पन्न होने के कारण दीपंग का वंश डोडिया कहलाया । दीपंग का साम्राज्य विस्तार सौराष्ट्र हिंगलाज काठियिवाड एवं समुद्र तक था ।दीपंग की राजधानी मुल्तान थी ।
गुरुवार, 4 जनवरी 2018
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भीम सिंह डोडिया
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