शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

हल्दीघाटी का बादशाह बाग


बादशाह बाग एक बडा सा बाग है जो कि हल्दीघाटी खमनोर के मार्ग पर स्थित है। यह हल्दीघाटी खमनोर का बादशाह बाग अपना एक अलग एतिहासिक महत्व रखता है । जब महाराणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार नहीं की थी, तब मुगलिया सल्तनत कि तरफ से मानसिंह को एक बडी फौज महाराणा प्रताप व उनकी सेना पर चढ़ाई करने हेतु भेजा गया था । हल्दीघाटी का दर्रा बहुत ही संकडा था, कहते है कि सिर्फ एक घुडसवार ही एक बार में जा सकता था अतः मुगलों की सेना एक बडे खुले से मेदान में ठहरी और वह स्थान था बादशाह बाग ।

21 जून 1576 के दिन यहां बादशाह बाग में ही राणा प्रताप की सेना का मुगल सेना से पहली बार सामना हुआ था । महाराणा प्रताप व उनकी सेना नें मुगलों के छक्के छुडा दिये थे, और ईससे मुगल सेना में भगदड मच गई थी ।


स्वतंत्र भारत कि पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी अपने समय में एक बार हल्दीघाटी आई थी और यहां के बादशाह बाग पर एक विशाल आमसभा का भी आयोजन किया गया था । आजकल ईस बादशाह बाग का काफी अच्छा रखरखाव हो रहा है सो इसका प्राकृर्तिक सौन्दर्य निखर उठा है । विभीन्न पेड पोधे, हरी भरी घास, अच्छी साज सज्जा, लाईट एवं पानी आदि की समुचित व्यवस्था के कारण यह अब और भी अच्छा लगने लगा है । सरकार द्वारा इसे एक एतिहासिक स्मारक की तरह ठीक से तवज्जो देने के कारण इसका जो विकास हुआ है, यह वाकई में एक अच्छा प्रयास है ।


हल्दीघाटी आने वाले पर्यटक इस स्थान पर अवश्य आते है ।

हल्दीघाटी के बादशाह बाग मे अपने साथियो के साथ शेल्फी अवश्य लेते है ।

यह स्थान मनमोह लेता है क्योंकि यह स्थान महाराणा प्रताप से जूडा हुआ है ।


जय महाराणा प्रताप 

जशवंत सिंह कोटेला

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भीम सिंह डोडिया

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